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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

मूल्यांकन की विधियाँ

(1) औपचारिक सर्वेक्षण विधियाँ - परियोजना या कार्यक्रम की कार्यान्वयन अवधि के दौरान औपचारिक सर्वेक्षण समय-समय पर किए जा सकते हैं। सर्वेक्षण में सावधानीपूर्वक व्यक्तियों या घरों (परिवारों) के प्रतिदर्श को चुनकर मानकीकृत साधन की सहायता से सूचक / जानकारी एकत्रित की जा सकती है। कभी-कभी सर्वेक्षणों में परियोजना क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्य समूह के सापेक्षिक रूप से लोगों के बड़े समूह के लिए तुलनीय सूचना एकत्रित की जाती है। सर्वेक्षण का आशय निम्नलिखित प्रयोजन को पूरा करना है-

(क) ऐसा आधार - रेखा आँकड़ा प्रदान करना जिससे कार्यनीति, कार्यक्रम या परियोजना के निष्पादन की तुलना की जा सके।

(ख) एक निर्धारित समय - बिन्दु पर विभिन्न समूहों में साथ समझौता करना।
(ग) समान (उसी) समूह में समय के साथ परिवर्तनों की तुलना करना।

(घ) कार्यक्रम या परियोजना डिजाइन में स्थापित लक्ष्य की परिवर्तित परिस्थिति के साथ वास्तविक परिस्थितियों की तुलना करना।

(ङ) विशिष्ट समुदाय या समूह में प्रचलित परिस्थितियों (दशाओं) का वर्णन करना।

इस विधि के कुछ लाभ हैं-

(क) इसके निष्कर्षों को बड़े समूह पर लागू किया जा सकता है।
(ख) प्रभावों के वितरण के लिए मात्रात्मक संस्थापन किए जा सकते हैं।

(2) त्वरित मूल्य निरूपण विधि - त्वरित मूल्य निरूपण विधियाँ निर्णयकर्त्ताओं को सूचना प्रदान करने के लिए परियोजना क्षेत्र के लाभार्थियों या अन्य सहयोगियों से सूचना एकत्रित करने का तेज और कम लागत वाला साधन है। त्वरित मूल्य निरूपण विधि अत्यंत अनौपचारिक विधियों से कि बातचीत या स्थल दौरे और अत्यधिक औपचारिक विधियों जैसे प्रतिदर्श सर्वेक्षण या प्रयोगों के बीच की विधि है।

(क) आधारभूत (मुख्य) सूचना साक्षात्कार
(ख) फोकस समूह चर्चा
(ग) समुदाय समूह साक्षात्कार
(घ) प्रत्यक्ष अवलोकन
(ङ) लघु-सर्वेक्षण

त्वरित मूल्य निरूपण विधि के लाभ हैं कि यह कम लागत वाली है। इसे शीघ्रता से किया जा सकता है और यह नए विचारों का अन्वेषण करने के लिए लचीलापन प्रदान करती है। चूँकि त्वरित मूल्य निरूपण विधियाँ अल्पकालिक होती हैं अतः ये न तो ठोस सर्वेक्षण प्रदान करती हैं और न ही ये सर्वेक्षण की गहन जानकारी प्रदान करती हैं।

(3) लोक व्यय लक्ष्यानुसरण सर्वेक्षण (PETS) विधि – ये सर्वेक्षण लोक-विधियों के प्रवाह का पता लगाते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि जिस लक्ष्य समूह के लिए संसाधन हैं वह उन तक वास्तव में किस हद तक पहुँच रहे हैं। सर्वेक्षणों में प्रक्रिया, मात्रा और विभिन्न सरकारी स्तरों पर संसाधनों को जारी करने के समय की भी जाँच पड़ताल करते हैं। उदाहरण के लिए, केन्द्र, राज्य, जिला और स्थानीय स्व- शासन संस्थान, विशेष रूप से सेवाओं को प्रदान करने के लिए उत्तरदायी एक्क / PETS दीर्घ सेवा वितरण और उन सुविधा सर्वेक्षण के रूप में कार्यान्वित किया जाता है जो सेवा की मात्रा, सुविधाओं की विशेषताओं, उनके प्रबंधन, प्रोत्साहन संरचना इत्यादि पर केन्द्रित होते हैं।

PETS का आशय स्थानीय समुदाय को उनके क्षेत्र में विशेष सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवंटित किए गए संसाधनों के स्तर में सूचना प्रदान करना है उदाहरण के लिए, स्थानीय विद्यालय या स्वास्थ्य क्लिनिक, इत्यादि और उपयोग का प्रतिमान / PETS का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय दाता एजेंसियों द्वारा अफ्रीकी देशों में उनकी सामाजिक विकास परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए व्यापक रूप में किया जाता है।

इस विधि के दो महत्वपूर्ण लाभ हैं-

(क) जवाबदेही के लक्ष्य में मदद करता है।
(ख) अधिकारी - तंत्र की बाधाओं को बतलाकर प्रबंधन में सुधार करता है।

(4) सहभागी विधियाँ - सहभागी निगरानी और मूल्यांकन (PM & E) एम एंड ई की रूढ़िगत उपागम की सीमाओं की मान्यता के कारण उभरा है। काफ़ी समय से इसके प्रति रुचि बढ़ रही है क्योंकि परिवर्तन से सीखने और आकलन शिक्षण के नए तरीके प्रदान करता है जो ज्यादा समावेशी है और परियोजना अंतः क्षेत्रों से प्रत्यक्षता प्रभावित होने वाली अधिकांश आकांक्षाओं और विचारों के अनुरूप है। PM & E विकास संगठनों को निर्धन लोगों का जीवन सुधारने के चरम लक्ष्य पर ज्यादा बेहतर रूप से ध्यान केन्द्रित करने का अवसर प्रदान करता है। परिवर्तन का पता लगाने व विश्लेषण करने के लिए सहभागिता को व्यापक करके एक स्पष्ट तस्वीर प्राप्त की जा सकती है क्षेत्र वास्तव में क्या हो रहा हैं। यह लोगों को सफलता मनाने असफलताओं से सीखने में मदद करता है। इसमें सम्मिलित लोगों के लिए, यह एक अत्यंत सशक्तिकरणपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है; क्योंकि यह उन्हें प्रभारी उत्तरदायी बनाती है, कौशलों का विकास करती है और दर्शाती है किस प्रकार उनके विचार महत्व रखते हैं।

(क) PM & E – रूढ़िगत निगरानी और मूल्यांकन परिवेश में सहभागी तकनीकों का प्रयोग करना मात्र नहीं है। यह मूलतः इस तथ्य पर पुन: विचार करना है कि कौन प्रक्रिया के लिए पहल करता है और उसका दायित्व लेता है और निष्कर्षों से कौन सीखता या लाभान्वित होता है। कौन भाग ले रहा है (सहभागी है), लेकिन चरणों / अवसरों में शामिल हुए और स्पष्ट उद्देश्य क्या हैं, इन बातों पर आधारित भिन्न-भिन्न रूप हैं। समुदाय आधारित रूप, जहाँ स्थानीय लोग प्रमुख फोकस होते हैं, जिसमें निम्न स्तर के स्टाफ को यह आकलन करने के लिए संलग्न किया जाता है कि इसे कैसे सुधारा / बेहतर बनाया जा सकता है। 'PM & E ने संलग्न लोगों की निगरानी और मूल्यांकन क्षमता का निर्माण करने में मदद करते हुए, बदलाव को जानने (मापने) के नए तरीके सृजित किए हैं।

(ख) सहभागी मानिटरिंग और मूल्यांकन के सिद्धांत - पी०एम० एंड ई० गुणात्मक और मात्रात्मक सूचना दोनों को विश्लेषण करने के अवसर प्रदान करती है, इस प्रकार निर्णयों को आधार प्रकार के लिए ज्यादा पूर्ण सूचना प्रदान करता है। सूचना प्रणाली में अक्सर सूचना पर ही केवल (मात्रात्मक) केन्द्रित किया जाता है लेकिन अकेली संख्याएँ समुदाय में वास्तविक घटित हो रही घटनाओं की अधूरी तस्वीर प्रस्तुत करती है। यदि संख्याओं के पीछे निहित कहानी लोगों को उपलब्ध हो एक अलग मूल्यांकन सम्भव हो सकता है। PM & E ऐसे कई समग्र सिद्धांतों को निर्मित किया है।

(5) लागत-लाभ और लागत प्रभावित विश्लेषण विधि - यह विश्लेषण यह आकलन करने का साधन है कि गतिविधि की लागतों को परिणामों और निर्गतों द्वारा उचित सिद्ध किया जा सकता है या नहीं। लागत लाभ विश्लेषण में आगतों और निर्गतों दोनों को आर्थिक संदर्भों में मापा जाता है।

दूसरी ओर लागत प्रभावित आर्थिक संदर्भ में आगतों का और परिणामों का गैर-आर्थिक मात्रात्मक संदर्भ में प्राक्कतान करती है। लागत लाभ विश्लेषण की अद्वितीय विशेषता यह है कि यह स्पष्ट रूप से दर्शा (सूचित) कर सकती है कि लाभ लागतों से ज्यादा महत्वपूर्ण है या नहीं। जबकि लागत प्रभावित समान परिणामों के साथ कार्यक्रम की तुलना करती है। लागत - प्रभावित का लागत प्रभावित अनुपात की सहायता से की जाती है जो इस प्रकार है-

 

                                                    कुल लागत
लागत प्रभावित अनुपात =  ----------------------------
                                                प्रभाविता की इकाई

 

लागत-लाभ अनुपात (BCR) कुल लागतों पर कुल लाभों के अनुपात से निरूपित करता है दोनों को समुचित के रूप में काटा जाता है। BCR को परिगणित करने का सूत्र है-

 

                    PV लाभ
BCR =    -----------------
                    PV लागत

 

जहाँ
PV लाभ = लाभों का वर्तमान मूल्य
PV लागत = लागत का वर्तमान मूल्य

लागत लाभ और लागत प्रभावित विश्लेषण में निम्नलिखित चरणों का अनुसरण किया जाता है- 

1. विश्लेषण का ढाँचा निर्धारित करता
2. यह निर्णय लेना कि किसकी लागत और लाभ रिकॉर्ड किए जाएंगे
3. लागतों और प्रभावों की पहचान व वर्गीकृत करना
4. कार्य की अवधि (काल) में परियोजना लागतों और लाभों की गणना करना
5. मुद्रीकरण करना
6. प्रभाविता की इकाई के रूप में लाभों की मात्रा निर्धारित करना
7. वर्तमान मूल्य प्राप्त करने के लिए लागतों और लाभों को घटाना
8. प्रभाविता अनुपात को परिकलित करना
9. लागत-लाभ अनुपात को परिकलित करना

लागत प्रभावी विधि को महत्वपूर्ण लाभों में से एक है कि यह नीति-निर्माताओं और निधि-दाताओं को यह विश्वास करने के लिए उपयोगी है कि लाभ गतिविधि को उचित ठहराते हैं। जबकि लाभ- लागत अनुपात एकल परियोजना के मूल्यांकन के लिए सबसे उचित है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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